एन०आई०सी० जांच के घेरे में,कमियाँ मिलीं तो कम अंक वालों की नियुक्तियाँ होगी रद्द । - प्राथमिक शैक्षिक खबर

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एन०आई०सी० जांच के घेरे में,कमियाँ मिलीं तो कम अंक वालों की नियुक्तियाँ होगी रद्द ।

एन०आई०सी० जांच के घेरे में,कमियाँ मिलीं तो कम अंक वालों की नियुक्तियाँ होगी रद्द ।




हाईकोर्ट ने कहा कि 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती में 37,339 पद शिक्षामित्रों के लिए आरक्षित किया गया है । 

इसके बाद 31,277 पदों पर चयन व नियुक्ति मामले में महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह के आश्वासन के बाद याचियों के अधिकार व हित संरक्षण के आदेश देने की आवश्यकता नहीं रह गई । 

यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने संजय कुमार यादव की याचिका पर दिया है , महाधिवक्ता ने कोर्ट से कहा कि सहायक अध्यापक चयन व भर्ती कार्रवाई अनंतिम है । 

जिसका पुनर्विलोकन होगा , नियुक्ति में अधिक अंक पाने वालों को वरीयता दी जाएगी , कम अंक पाने वालों की नियुक्ति करने का प्रश्न ही नहीं है, यदि कम अंक पाने वाले की काउंसिलिंग की गयी है तो भी अधिक अंक पाने वालों के साथ न्याय किया जाएगा । 

कोर्ट से महाधिवक्ता ने कहा कि अधिक अंक पाने वालों की काउंसिलिंग कराकर उनकी नियुक्ति की जाएगी , वहीं , कम अंक पाने के बावजूद की गयी नियुक्ति वापस ली जाएगी । 



यह सारी कार्रवाई अनियमितता की एनआइसी की जांच रिपोर्ट आने के बाद पूरी की जाएगी, अगली सुनवाई की तारीख पर जांच रिपोर्ट सहित कार्रवाई और सरकार का रुख कोर्ट के समक्ष रखा जाएगा । 

याचियों का कहना है कि कम अंक पाने वालों का नाम चयन सूची में है , जबकि लिखित परीक्षा में अधिक अंक पाने वालों का नाम चयन सूची में शामिल नहीं है । 

इसके जवाब में महाधिवक्ता ने कहा कि चयन 24 सितंबर 2020 के शासनादेश से किया जा रहा है । 

इस शिक्षक भर्ती में पहली बार एनआइसी सीधे तौर पर घेरे में है, शीर्ष कोर्ट ने 69000 शिक्षक भर्ती की अनंतिम चयन सूची से 31661 पदों को भरने का आदेश दिया था और शासन ने भी 67867 अभ्यर्थियों की सूची से जिलावार पद घटाने व चयनित तय करने का निर्देश दिया था।
 
31277 पदों की चयन सूची में किसी अभ्यर्थी का जिला नहीं बदला , बल्कि किसी जिले में बहुत कम और कहीं बहुत अधिक अभ्यर्थियों का चयन जरूर हुआ । 

शिक्षक भर्ती की 12 अक्टूबर को वेबसाइट पर सूची जारी होते ही अधिक गुणांक वाले अभ्यर्थियों का चयन न होने का मुद्दा उठा, आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को बाहर करने की खबरे आती रही । 


इनमें ज्यादातर वे अभ्यर्थी थे , जिनका चयन पहले अनारक्षित सीटों के सापेक्ष हुआ था, उन्हें अपने वर्ग तक में जगह नहीं दी गई, अधिक गुणांक होने पर भी चयन न होने से सूची पर विवाद बढ़ा । 

ताज्जुब यह है कि जब चयन 67867 अभ्यर्थियों की सूची से ही हुआ तो अधिक गुणांक वाले जिलों से बाहर कैसे हो गए ? सूची तय करने में बेसिक शिक्षा परिषद के अफसर फार्मूला सुझाते रहे हैं , जबकि उसे लागू करने का कार्य एनआइसी का है।
 
यही वजह है कि शासनादेश जारी होने के बाद भी लंबे समय तक सूची बनने का कार्य शुरू नहीं हुआ, अनंतिम सूची में जिन जिलों में अधिक पद थे वहां कम चयन और जहां कम पद थे वहां अधिक अभ्यर्थियों का चयन हुआ
 
कम मेरिट वाले भी जा सकते कोर्ट : अनंतिम सूची से कम मेरिट वाले बाहर कर अधिक वालों को जगह मिलेगी तो वे कोर्ट का रुख कर सकते हैं, दलील है कि वे 67867 चयन सूची में थे इसमें भी शामिल किया गया तो अब नियुक्ति रद क्यों हो रही है, इसमें उनकी गलती क्या है ?