प्रदेश के बेसिक शिक्षकों की न्यायोचित मांगों का समाधान न कर निरीक्षण के नाम पर प्रताड़ित करने की नीयत से बेसिक शिक्षकों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार सार्वजनिक रूप से अपमानित किये जाने के सम्बंध में
प्रदेश के बेसिक शिक्षकों की जायज मांगे काफी वर्षों से लम्बित हैं, जो कि निम्नवत हैं
👉 शिक्षकों की पदोन्नति अधिकांश जनपदों में वर्ष 2006 से नहीं हुई हैं। कुछ जनपदों में 2015 तक हुई हैं उनकी पदोन्नति की तरफ विभागीय अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। केवल कोर्ट का बहाना ले टाला जा रहा है। अबिलम्ब पदोन्नतियां की जाएं' आप द्वारा भरोसा दिया गया था कि यह कार्य प्राथमिकता के साथ जल्द ही पूर्ण कर लिया जायेगा। परन्तु अब तक प्रक्रिया तक प्रारम्भ नहीं की है। साथ ही जनपदों के अंदर वर्ष 2013 से बेसिक शिक्षकों के स्थानांतरण नहीं हुए हैं। अंतर जनपदीय स्थानांतरण खास तौर पर आकांक्षी जनपदों से विशेष अभियान चलाकर किये जायें। जबकि 27 जुलाई को शासनादेश निर्गत होने के पश्चात् भी इसे ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया और यह आश्वासन दिया जा रहा है कि जल्द ही वेबसाइड खोल कर प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी जायेगी। आप द्वारा आश्वस्त किये जाने की स्थिति में मेरे द्वारा प्रदेश के बेसिक शिक्षकों को स्थिति से अवगत करा दिया जाता है उसके पश्चात् प्रक्रिया का प्रारम्भ न किया जाना विभाग की मंशा पर प्रश्न चिन्ह अंकित होता है।
👉 पुरानी पेंशन की मांग लंबे समय से की जा रही है उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षकों, कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक अप्रैल 2005 से बन्द की गई पुरानी पेंशन लागू की जाए।
👉 प्रदेश के करीब चालीस हजार बेसिक शिक्षक 17140-18150 के वेतनमान की असमानता से जूझ रहे हैं उनको पदोन्नति तिथि से उक्त वेतनमान का लाभ दिया जाए इस कारण एक ही संवर्ग में वरिष्ठता और कनिष्ठता का विवाद उत्पन्न हो रह है।
👉 प्रदेश के शिक्षा मित्र, अनुदेशक अल्प वेतन पर कार्य कर रहे हैं, मंहगाई चरम पर है, उक्त संविदा कर्मचारियों का मानदेय 25000 रुपये प्रति माह किया जाए साथ यह सभी वर्षों से विद्यालयों में शिक्षण कार्य कर रहे हैं, योग्यताधारी, अनुभव युक्त, प्रशिक्षित हैं इन्हें शिक्षक पदों पर समायोजित भी किया जाए।
👉 एक अप्रैल से शिक्षण सत्र प्रारम्भ किया गया है। शिक्षण हेतु कोई व्यवस्था किताबों आदि की अब तक नहीं हुई है अधिकांश किताबें अभी तक अप्राप्त है ऐसी दशा में शैक्षिक सत्र परिवर्तन का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता है अनुरोध है कि पूर्व की भांति शैक्षिक सत्र अपैल के स्थान पर जुलाई से 20 मई तक किया जाए साथ ही यह भी अनुरोध है कि 31 दिसम्बर से 15 जनवरी एवं 20 मई से 15 जून तक का अवकाश समाप्त किया जाए क्योंकि इन अवकाशों की अवधि में लगातार कार्य लिया जाता है इस कारण अवकाश समाप्त कर ई०एल० की सुविधा अन्य कर्मचारियों की भांति दी जाए।
👉 उच्च योग्यता धारी मृतक आश्रित नियुक्ति से वंचित हैं क्योंकि उनकी नियुक्ति चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पदों पर की जा रही है अनुरोध है कि ऐसे सभी आवेदकों को अधिसंख्य पदों के आधार पर उनकी योग्यता के अनुरूप नियुक्ति दी जाए।
👉 मानव सम्पदा पोर्टल से आकस्मिक अवकाश लेने की व्यवस्था समाप्त की जाए क्योंकि उत्तरप्रदेश कर्मचारी अवकाश नियमावली में ऐसी कोई व्यवस्था अब तक नहीं है इस लिए नियमावली के विरुद्ध जाकर कोई व्यवथा लागू न की जाए।
👉 शासन के पूर्व निर्देशों के अनुसार मान्यता प्राप्त संगठनों की प्रदेश स्तर पर प्रत्येक माह बैठक समय से की जाए।
👉 परिषदीय विद्यालयों में विभागीय कार्य पूर्ण करने हेतु एक लिपिक की तथा साफ सफाई एवं रखरखाव हेतु एक चौकीदार / सफाई कर्मचारी की नियुक्ति की जाए।
👉 प्रोन्नति वेतनमान वर्षों से शिक्षकों के बाधित हैं शत प्रतिशत प्रोन्नति वेतनमान देने का आदेश दिया जाए जब तक शासनादेश निर्गत नहीं होता है तब तक पूर्व व्यवस्था के अन्तर्गत प्रोन्नत वेतनमान देने के सम्बन्ध में आदेश निर्गत किया जाये।
👉 शासनादेश के अनुसार मान्यता प्राप्त संगठन होने के नाते उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश को कार्यालय संचालन हेतु टाइप 4 का भवन लखनऊ में आवंटित किया जाए।
👉 शासनादेश के अनुसार मान्यता प्राप्त सेवा संघों के अध्यक्ष, महामंत्री को सचिवालय प्रवेश पत्र दिए जाने की व्यवस्था है 10 माह बीतने के उपरांत भी अब तक जारी नही किया गया है जारी किया जाए।
👉 शिक्षक के विद्यालय में उपस्थित होने के उपरांत किसी आकस्मिक स्थिति में
विद्यालय से जाने पर अवकाश लेने तथा स्वीकृत की व्यवस्था की जाए।
👉 ललिता प्रदीप जी अपर शिक्षा निदेशक बेसिक प्रयागराज के 30 जून 2022 को सेवानिवृति के एक दिन पूर्व 29 जून 2022 को शासनादेश को अतिक्रमित करते हुए नियमों के विरुद्ध किये गए खण्ड शिक्षा अधिकारियों के स्थानांतरण संशोधनों की जांच कराई जाए तथा नियम विरुद्ध किये गए संशोधनों को निरस्त किया जाए।
👉 बेसिक शिक्षकों की शत प्रतिशत उपस्थिति हेतु कराए जा रहे निरीक्षणों में संविदा कर्मचारियों तथा शिक्षकों से कनिष्ठ कर्मचारियों एवं प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहे शिक्षक संवर्ग के लोगों के माध्यम से निरीक्षण न कराया जाए।
👉 सघन निरीक्षण के नाम पर शिक्षकों को 7-55 या 8-05 पर अनुपस्थित किया जा रहा है जबकि वह पूरे दिन विद्यालय रहकर अपना कार्य कर रहा है कृपया यह निर्देश दिये जायें कि यदि ऐसी स्थित में शिक्षक अनुपस्थित होता है तो उसे अनुपस्थित मानते हुए अपने निवास स्थान को वापस चला जाये।
👉 आप द्वारा आदेश दिया गया है कि शिक्षकों को बीएलओ अथवा पदाविहित अधिकारी पद पर अवकाश के दिनों में कार्य करने पर प्रतिकर अवकाश किसी भी दशा में स्वीकारना उनके कार्यरत विद्यालय से 20-25 किमी दूर लगाई गयी है ऐसी स्थिति में विद्यालय समय के पश्चात् बीएलओ कार्य कर पाना कैसे सम्भव होगा साथ ही श्रीमान जी द्वारा प्रतिकर अवकाश के सम्बन्ध में शासन द्वारा जारी शासनादेशों नियमों को अतिक्रमित करते हुए आदेश दिया गया जो कि अधिकार क्षेत्रों से परे है तथा शासनादेशों के विरुद्ध हैं। उक्त आदेश से ऐसा प्रतीत होता है कि विभाग शिक्षकों से व्यक्तिगत द्वेष भाव जैसा व्यवहार कर रहा है।
महोदय, आपके स्तर से प्रतिदिन शिक्षकों से कार्य लेने के सम्बन्ध में ही लगातार पत्र और निर्देश जारी किये जाते हैं परिवार का मुखिया होने के नाते आपके मन में यह विचार कभी नहीं आया कि शिक्षकों की न्योचित समस्याओं / मांगो का भी समाधान किया जाना चाहिए? क्या विभाग को सारे काम शिक्षकों से ही लेना आता है?
क्या शिक्षकों की समस्याओं का समाधान किये जाने का विचार कभी नहीं आता? वर्षो से शिक्षक एक ही पद पर कार्य कर रहे हैं क्या उनकी पदोन्नति के सम्बन्ध में विभाग को नहीं सोचना चाहिए? वर्षो से जनपदो के अन्दर स्थानान्तरण नहीं हुए क्या उनके स्थानान्तरण नहीं किये जाने चाहिए? आकांक्षी जनपदों में कार्यरत शिक्षकों का क्या दोष है? कि उनको उन जनपदों में नियुक्त कर अन्तजनपदीय स्थानान्तरणों से क्यों वंचित किया गया?
यह कहां का न्याय है कई वर्षो से शिक्षक अपने मोबाईल, सिम नम्बर डाटा या नेक पैक से सरकारी कार्य विभाग जबरदस्ती करवा रहा जो कि वह अपने वेतन से कर रहा है। उस वेतन पर उसके बच्चों का अधिकार है' क्या यह शिक्षक के साथ उत्पीड़न जैसा व्यवहार नहीं है?
इन कार्यों हेतु विभाग को व्यवस्था करनी चाहिए। परन्तु इसके विपरीत शिक्षकों का उत्पीड़न किये जाने की नियत से प्रदेश के खण्ड शिक्षा अधिकारियों 37000/- रूपये प्रति खण्ड शिक्षा अधिकारी व्यय करते हुए करोड़ो रूपये व्यय किये जा रहे है। जिसका कोई लाभ दिखाई नहीं देता है।