फतेहपुर : 41556,12460,15000 व 16448 सहायक शिक्षक भर्ती के तहत चयनित शिक्षकों को वेतन, बकाए की आस । - प्राथमिक शैक्षिक खबर

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फतेहपुर : 41556,12460,15000 व 16448 सहायक शिक्षक भर्ती के तहत चयनित शिक्षकों को वेतन, बकाए की आस ।

फतेहपुर : 41556,12460,15000 व 16448 सहायक शिक्षक भर्ती के तहत चयनित शिक्षकों को वेतन, बकाए की आस ।



📡 उपरोक्त  सहायक शिक्षक भर्ती के अन्तर्गत चयनित हुए शिक्षकों के वेतन बकाए की उम्मीदें सत्यापन की राह  देख रही हैं । 

📡 41556 व 12448 , 15000 एवं 16448 सहायक शिक्षक भतियों के अन्तर्गत चयनित हुए शिक्षकों को वेतन के बाद अब अपने एरियर के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है । 

📡 इन भर्तियों के अन्तर्गत जिले को करीब 2500 शिक्षक मिले थे,शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों के सत्यापन में कई माह गुजरने के बाद पहला वेतन नसीब हो सका था । 

📞  अब भी 15000 एवं 16448 सहायक शिक्षक भर्ती के चार साल बाद भी 43 शिक्षकों का अब भी है वेतन बकाया भुगतान आदेश का इंतजार । 

📞  12460 सहायक शिक्षक भर्ती के अन्तर्गत जिले को मिले थे करीब 315 शिक्षक, कई को अब तक नहीं मिला बकाया वेतन ।

📞  41556 सहायक शिक्षक भर्ती के अन्तर्गत जिले में 1687 शिक्षक आए, अब भी करीब 1500 शिक्षकों का वेतन भुगतान आदेश लंबित है ।

📡 दो साल की अवधि में हुई शिक्षक भर्तियों के सैकड़ों शिक्षकों के वेतन बकाए का भुगतान आदेश अब तक जारी नहीं किया जा सका है । 

📡 टुकड़ों में कुछ भुगतान आदेश हुए हैं लेकिन बहुसंख्यक शिक्षकों का वेतन बकाया अब भी लंबित है, सत्यापन प्रक्रिया का पेंच दीवाली तक भी नहीं सुलझ पाया है । 

📡 लिहाजा इनके वेतन का बकाया लाखों में हो गया , शिक्षकों को उम्मीद थी कि विभाग जल्द ही उनके वेतन बकाए का भुगतान करा देगा लेकिन अब तक उम्मीदें हकीकत नहीं बन सकी हैं ।

📡 दीवाली से ठीक पहले प्राशिसं ने यह संवेदनशील मामला सदर विधायक विक्रम सिंह के जरिए फिर से उठाया है। 

📡 संघ ने विधायक को ज्ञापन सौंपा तो उन्होंने बेसिक शिक्षा निदेशक से बात कर शिक्षकों की समस्या उन तक पहुंचाई, विधायक को समाधान का भरोसा दिया गया है ।

📡 सैकड़ों शिक्षकों का कई माह का वेतन बकाया और सत्यापन में ढिलाई का प्रकरण डीएम के संज्ञान में है , संघ ने इस मामले को कई बार डीएम एवं विभागीय अधिकारियों के समक्ष उठाया है।

📡 सत्यापन का पेंच इस मामले में सबसे बड़ी मुसीबत बनकर सामने आया है , सत्यापन में हीला - हवाली शिक्षकों के लिए मुसीबत बनकर आई