अमेरिकी कोरोना की जीवनरक्षक दवा रेमडिसिवर की भारत में घोर कालाबाजारी।
वैश्विक महामारी कोविड - 19 की अमेरिकी दवा रेमडिसिवर जैसी जीवनरक्षक दवाई की कालाबाजारी भारत में धड़ल्ले से हो रही है।
यह दवा भारत में अमेरिका से 72 गुना अधिक दामों में बेची जा रही है, जहां अमेरिका में 73 भारत की दवा भारत में 4500 - 5400 रही में बिक रही है।
कोविद -19 से लड़ाई में जहां पूरी दुनिया एकजुट है, वहीं कुछ कंपनियां इस आपदा में मुनाफा कमाने में पीछे नहीं हैं।
रेमडेसिवर दवा बनाने वाली अमेरिकी दवा कंपनी गिलीड साइंसेस इन से एक है।
जिस दवा को अमेरिका में एक डॉलर यानी 75 रुपये में बेच रहा है, उसी दवा को वह भारत में 4500 रुपये से 5400 तक में बेच रहा है।
हालांकि गिलीड ने भारत में सात कंपनियों को इस दवा को बनाने का लाइसेंस दिया है, लेकिन कीमत में कोई समझौता नहीं किया है।
यह नहीं है, कोविड -19 के इलाज में काम आने वाली एक्ट - एक्सीलरेटर, कोविक्स फैसिलिटी या सीटैप जैसी दवाइयों और उपकरणों को स्थानीय स्तर पर बनाने के लिए तकनीकी हस्तांतरण नहीं किया गया है।
इन सब के पीछे बौद्धिक संपदा कानून और पेटेंट कानून के प्रावधान हैं, उधर, स्वदेशी जागरण मंच के संयोजक डॉ। अश्विनी महाजन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा 2001 में डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों द्वारा अपनाए गए दोहा घोषणा पत्र का सहारा लेकर इन कंपनियों के मनमानी का मुकाबला कर सकते हैं