अब बी०ए० नहीं , बी०एस०सी० पास परखेंगे चाय और पकौड़ा की गुणवत्ता। - प्राथमिक शैक्षिक खबर

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अब बी०ए० नहीं , बी०एस०सी० पास परखेंगे चाय और पकौड़ा की गुणवत्ता।

अब बी०ए० नहीं , बी०एस०सी० पास परखेंगे चाय और पकौड़ा की गुणवत्ता।




🐦 सावधान ! अगर आप पापड़ या पकौड़ा बनाने का व्यवसाय करने जा रहे हैं तो पहले कमेस्ट्री से बीएससी पास कर लें , तभी सरकार खाद्य पदार्थ बेचने का लाइसेंस देगी । 

🐦 फिलहाल ठेला लगाकर चाय , पकौड़ा , समोसा , रोटी चावल , पूड़ी - सब्जी , चाऊमीन , बर्गर बेचने वालों को डिग्री धारक रखना अनिवार्य नहीं होगा । 

🐦 केंद्र सरकार ड्रग लाइसेंस की तर्ज पर फूड लाइसेंस बनाने की व्यवस्था करने जा रही है, वर्तमान में फूड लाइसेंस लेने बालों के लिए किसी विशेषज्ञ को रखने की आवश्यकता नहीं है । 

🐦 कोई भी व्यक्ति आनलाइन आवेदन कर आसानी से फूड लाइसेंस ले सकता है  

🐦 गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार ने खाद्य पदार्थ तैयार करने वालों को लाइसेंस लेने के लिए कैमेस्ट्री से बीएससी पास विशेषज्ञ को अपने यहां निगरानी के लिए नौकरी पर रखना अनिवार्य कर दिया है । 


🐦 फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड आथारिटी आफ इंडिया ( एफ०एस०एस०ए०आई० ) के नए नियम में बीएससी केमेस्ट्री डिग्री धारक खाद्य पदार्थ तैयार करने वालों को गाइड करेगा और कच्चे खाद्य पदार्थ की जांच करेगा ।

🐦 कच्चा व तैयार खाद्य पदार्थ रखने के लिए अलग - अलग स्टोर बनाना होगा,
 आवेदन के लिए मुख्य खाद्य अधिकारी व अभिहित अधिकारी स्थल का भौतिक सत्यापन करेंगे , तभी लाइसेंस जारी होगा।

🐦 जिले में साढ़े चार हजार फूड लाइसेंस है , जिसमें 17 सौ खाद्य पदार्थ तैयार करने वाले हैं, अभिहित अधिकारी विनोद कुमार सिंह ने बताया कि एफ०एस०एस०ए०आई० ने एडवाइजरी जारी की है । 

🐦 प्रदेश सरकार की स्वीकृति मिलते ही नए नियम लागू हो जाएंगे, पुराने फूड लाइसेंस का नवीनीकरण कराने वालों को नए नियम का पालन करना पड़ेगा।



🐦 फूड सेफ्टी के तहत पहले चरण में फूड तैयार करने वाली कंपनी , होटल व ढाबा संचालक , मिठाई बनाने वाले दुकानदार , बड़े हलवाई को डिग्री धारक रखना पड़ेगा।

🐦 ठेला लगाकर चाय , पकौड़ी बेचने वालों को डिग्री धारक रखना अनिवार्य नहीं होगा ।

🐦 बिना लाइसेंस के खाद्य पदार्थ बेचने वालों के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत दंड का प्रावधान रखा गया है। 

🐦 12 लाख से अधिक सालाना टर्न  ओवर वाले की सुनवाईएजेसीएम न्यायालय में होती है, इससे कम सालाना टर्न ओवरवाले कारोबारियों के लिए एडीएम सिटी के न्यायालय में सुनवाई होती है ।