इलाहाबाद हाईकोर्ट का दिशा - निर्देश परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों का शिक्षा सत्र के बीच तबादले पर रोक । - प्राथमिक शैक्षिक खबर

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का दिशा - निर्देश परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों का शिक्षा सत्र के बीच तबादले पर रोक ।

इलाहाबाद हाईकोर्ट का दिशा - निर्देश परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों का शिक्षा सत्र के बीच तबादले पर रोक ।



बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अध्यापकों  के अंतर जिला तबादलों के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिशा - निर्देश जारी कर दिया है, कोर्ट ने कहा कि शिक्षा सत्र के बीच में कोई तबादला नहीं किया जाएगा ।  

सरकार को इसका पालन करते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया है । कोर्ट ने साफ कहा कि नियुक्ति नियम है और तबादला अपवाद सरकार को शर्ते लगाने का पूरा अधिकार है, किसी भी अध्यापक को तबादले का अधिकार नहीं है । 

यह सरकार की तबादला नीति की शर्तों पर निर्भर है, दिव्या गोस्वामी सहित दर्जनों याचिकाओं पर 44 पृष्ठ के विस्तृत फैसले में न्यायमूर्ति अजित कुमार ने कहा कि प्रत्येक अध्यापक को अंतर जिला तबादला के लिए एक ही अवसर दिया जाएगा ।

केवल उस अध्यापिका को दूसरा अवसर मिलेगा जिसने नियुक्ति के बाद शादी की है, वहीं शादीशुदा अध्यापिकाओं को एक बार ही तबादले का विकल्प मिलेगा, कोर्ट ने कहा कि उन अध्यापकों को भी तबादला का दूसरा अवसर मिलेगा ।

जो गंभीर रूप से बीमार होंगे और उन्हें तत्काल इलाज की जरूरत होगी, शारीरिक रूप से अक्षम अध्यापक को भी एक ही अवसर दिया जाएगा । 

सेना या अर्ध सैनिक बलों में तैनात होने वालों के माता - पिता के सहारे के लिए उनकी अध्यापक पत्नियों को दूसरा अवसरमिलेगा, कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति के समय अध्यापकों को पांच साल व अध्यापिकाओं को दो साल पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में रहना अनिवार्य है । 

इस अवधि में किसी का तबादला नहीं किया जा सकेगा, विशेष स्थिति में ही केवल अध्यापिकाओं को छूट मिलेगी।

कोर्ट ने वे दिसंबर 2019 के शासनादेश के खंड -2 ( 1 ) ( ए ) ( बी ) 16 व 17 को विरोधाभाषी मानते हुएशून्य करार दिया है । 

सेवाकाल में अध्यापकों को अंतर जिला तबादलों का एक अवसर देने की सरकारी नीति को वैध करार दिया है । 

कोर्ट ने कहा है कि अनिवार्य शिक्षा कानून के उद्देश्य को पूरा करने के लिए सरकार को शर्ते लगाने का पूरा अधिकार है यह सरकार का नीति का विषय है, कोर्ट के इस फैसले से अंतर जिला तबादलों की स्थिति साफ हो गई है ।