प्रदेश के 973 संस्कृत विद्यालय व महाविद्यालयों
को बंद करने की तैयारी
कम छात्र संख्या वाले संस्कृत विद्यालय सरकार बंद करने के मूड में है 17 जून मे को सीएम की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में अफसरों को निर्देश दिया गया था कि माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों का निरीक्षण किया जाए तथा ऐसे विद्यालय जिनमें पर्याप्त संख्या में छात्र हैं उन्हीं में मानक के अनुसार शिक्षक तैनात किए जाए।
जिन स्कूलों में छात्रसंख्या बहुत कम है ऐसे विद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को अन्य निकटतम स्कूलों में शिफ्ट करते हुए इनके शिक्षकों का समायोजन अन्य आवश्यकता वाले विद्यालयों में किया जाए स्पष्ट है कि जब स्कूल में छात्र और शिक्षक ही नहीं रहेंगे तो उन पर ताला लगा दिया जाएगा।
सीएम की अध्यक्षता में हुई बैठक का हवाला देते हुए उप शिक्षा निदेशक संस्कृत प्रमोद कुमार ने सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों और मंडलीय उप निरीक्षक संस्कृत पाठशालाएं को 6 अगस्त को पत्र लिखकर स्कूलों के निरीक्षण के निर्देश दिए हैं, संयुक्त रिपोर्ट मांगी गई है ताकि छात्रों शिक्षकों का समायोजन हो सके।
छात्रसंख्या के आधार पर संस्कृत विद्यालयों को बंद करने के आदेश से संस्कृत शिक्षकों में कफी आक्रोश है प्रादेशिक संस्कृत विद्यालयाध्यापक संघ के जिला महामंत्री एवं प्रवक्ता आचार्य पं० मिश्र ह्यधीरह का कहना है कि संस्थान में छात्र संख्या न्यून होने पर उसे बंद करना संस्कृत शिक्षा के साथ शत्रुतापूर्ण व्यवहार ही प्रदर्शित करता है जब की इस देश में अनेक ऐसे संस्थान हैं जिन्हें सरकार पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध करा रही हैं और वहां की छात्र संख्या न के बराबर है।
उदाहरण के तौर पर राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान को लें जिसे प्रतिवर्ष लगभग 200 करोड़ रुपये से अधिक का अनुदान एवं अन्य संसाधन दिया जाता है वेतन इसके अतिरिक्त है इसके बावजूद प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों की तुलना में छात्र संख्या कहीं नहीं ठहरती पाणिनी विश्विद्यालय उज्जैन को प्रचुर धन - संसाधन परन्तु छात्र न के बराबर हैं अतएव छात्र संख्या के आधार विद्यालय बंद करना वस्तुतः संस्कृत शिक्षा को समाप्त करने की ओर बढ़ा हुआ कदम ही साबित होगा।